Sunday 2 June 2013

नरेंद्र मोदी के मुकाबले शिवराज को मिल रही हवा

भाजपा में प्रधानमंत्री पद के लिए भले ही गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी लोकप्रियता के दम पर लंबी कुलांचे भर रहे हों लेकिन पार्टी के अंदर ही वरिष्ठ नेताओं के बीच उनके नाम पर अभी तक आम सहमति बनती नहीं दिख रही है।

कम से कम पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी अभी भी मोदी को अपना समर्थन देते नजर नहीं आ रहे हैं। तभी तो आडवाणी ने शनिवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को विकास के साथ विनम्र भी बने रहने पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से बेहतर बता दिया।

शिवराज को मोदी के बराबर खड़े करने की बजाय एक कदम बढ़कर उन्हें मोदी से सर्वश्रेष्ठ आंकने की आडवाणी की यह रणनीति पार्टी में प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी पर फिर से एक बार सुगबुगाहट तेज कर सकती है। आडवाणी ने विकास करने के बाद दंभ दिखाने की मोदी की उग्र छवि पर निशाना साधते हुए शिवराज की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से की। वरिष्ठ नेता आडवाणी ने चौहान को बाजपेयी जैसा विनम्र बताया।

आडवाणी बूथ लेवल के समन्वयकों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बाजपेयी ने देशभर में लोक कल्याणकारी योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू किया और हमेशा विनम्र बने रहे। उसी तरह शिवराज सिंह ने मध्य प्रदेश में कई जनकल्याण कारी योजनाएं लाई। लेकिन वह भी इसका बखान करने की बजाय विनम्र बने रहे। अनेक सफलताओं के बाद भी चौहान में अहंकार नहीं है।

आडवाणी ने कहा कि मोदी ने तो पहले से ही संपन्न गुजरात राज्य को विकास की राह में आगे किया लेकिन चौहान ने तो बीमारू रहे मध्य प्रदेश को आज विकसित राज्यों की जमात में ला खड़ा किया है। इस लिहाज से चौहान की तारीफ की जानी चाहिए।

क्या कहना है मप्र भाजपा का

मध्य प्रदेश भाजपा के सूत्रों ने कहा कि नरेंद्र मोदी आए दिन अपने द्वारा किए गए विकास कार्यों का दंभ भरते हैं। जो देश के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी की छवि के लिए उचित नहीं है। आडवाणी चौहान की सादगी और विनम्रता का हवाला देकर मोदी की उसी उग्र छवि पर सीधा प्रहार कर रहे हैं। और पार्टी में चौहान को बाजपेयी के समकक्ष विनम्र ठहराकर प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा प्रत्याशी की सुगबुगाहट तेज कर रहे हैं।

चौहान को भी संसदीय बोर्ड में चाहते थे
बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद नरेंद्र मोदी का अभी भी पार्टी में प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी चुना जाना एक टेढ़ी खीर है। पार्टी का एक धड़ा मोदी के नाम पर अभी भी सहमत नहीं होता दिख रहा है। जिसका नेतृत्व शायद आडवाणी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में चौहान को मोदी से बेहतर बनाने की आडवाणी की रणनीति शायद इसी का एक हिस्सा हो सकती है। करीब दो माह पहले मोदी को जब पार्टी के संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया तब आडवाणी बोर्ड में एक और मुख्यमंत्री यानी शिवराज सिंह चौहान को भी चाहते थे। �

मोदी के बारे में
नरेंद्र मोदी को जब गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया तो उनके हाथ में पहले से ही आर्थिक रूप से एक संपन्न राज्य था। उन्होंने गुजरात के विकास को और बेहतर ढंग से सिर्फ आगे बढ़ाया है। इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं।

चौहान के बारे मे
आर्थिक रूप से कमजोर यानी बीमारू राज्य मध्य प्रदेश को अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं से तरक्की की राहों पर आगे ले जाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो अथक प्रयास किए हैं, उसकी निसंदेह तारीफ की जानी चाहिए। चौहान ने जो विकास कार्य किए हैं। वह आश्चर्य से भर देते हैं।

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