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Sunday 2 June 2013

आंध्र के स्वास्थ्य मंत्री रेड्डी बर्खास्त

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. किरन कुमार रेड्डी ने शनिवार की रात राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डीएल रवींद्र रेड्डी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। स्वास्थ्य मंत्री ने सरकार के कार्यक्रमों की आलोचना की थी। 

इससे पहले शुक्रवार को सीएम ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मंत्रिमंडल में फेरबदल के मुद्दे पर बातचीत की थी। 

रवींद्र रेड्डी को सीएम का आलोचक माना जाता है। वे मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने वाले दूसरे मंत्री हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री ने पी. शंकर राव को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था। 

जल्द ही एक-दो और मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने की संभावना जताई जा रही है। रवींद्र रेड्डी इस समय अपने परिवार के सदस्यों के साथ लंदन में हैं। उम्मीद है कि वे 4 जून को लौटेंगे। 

रवींद्र रेड्डी कडप्पा जिले से विधायक हैं। उन्हें दिसंबर 2010 में किरण रेड्डी के सीएम बनने पर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। 

बहरहाल, बाद में वे सीएम के कटु आलोचक बन गए और खुलेआम उनके काम करने के तरीकों की आलोचना करने लगे।

जवाब देख सवाल हल करेंगे सीबीएसई के छात्र

परीक्षा में नकल रोकने के लिए घूमते न तो उड़ाका दल होंगे न ही कक्षा में परीक्षा के दौरान घूरती कक्ष निरीक्षक की आंखें। इन सबसे इतर छात्र के पेपर में ही पूछे गए हर सवाल से जुड़े जवाब व्यापक रूप में लिखे होंगे। छात्र को बस इतना करना होगा कि पेपर में दिए गए जवाब में सही और सटीक उत्तर चुन कर लिखना होगा।

छात्रों को यह सहूलियत नए सत्र से सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) देने जा रहा है। वर्ष 2014 की
नौवीं और 11वीं की परीक्षा में ओपन टेक्स्ट बेस्ड असेसमेंट लागू हो रहा है।

नई कवायद के संदर्भ में सीबीएसई चेयरमैन विनीत जोशी ने पत्र लिखकर सभी स्कूलों को अवगत कराया है। नौवीं में जहां यह सभी विषयों में लागू होगा, वहीं 11वीं में इसे पहले साल इकोनॉमिक्स, जॉग्रफी और बायोलॉजी तक सीमित रखा गया है। जोशी का कहना है कि इसके जरिए छात्रों की व्यक्तित्व संबंधी क्षमता की परख हो सकेगी और साथ ही वे तथ्यों को रटने की जगह समझ और तार्किक क्षमता विकसित करने की ओर आगे बढ़ेंगे। स्कूलों को टेक्स्ट मैटेरियल सीबीएसई उपलब्ध कराएगा। परीक्षा के प्रणाली, उद्देश्य और प्रक्रिया को समझने के लिए सहोदय स्कूलों से वर्कशॉप आयोजित करने को भी कहा गया है। इससे इस प्रणाली को सही रूप से लागू करने और आदर्श मूल्यांकन तकनीक विकसित करने में मदद मिलेगी। स्कूलों को टेक्स्ट मैटेरियल दिसंबर में उपलब्ध करा दिया जाएगा।


ऐसे होगी 9वीं और 11वीं में परीक्षा
नौवीं में ओपन टेक्स्ट आधारित अससेमेंट हर विषय में लागू होगा। यह मार्च में होने वाले समेटिव असेसमेंट-दो का हिस्सा होगा। परीक्षा के कुछ महीने पहले स्कूलों को टेक्स्ट मैटेरियल उपलब्ध कराए जाएंगे। टेस्ट मैटेरियल आर्टिकल, केस स्टडी, रेखाचित्र, कॉन्सेप्ट, कार्टून, चित्र या परिस्थिति आधारित हो सकता है। इसकी संरचना उसी पाठ्यक्रम पर आधारित होगी जो नौवीं के छात्रों को सेकंड टर्म में पढ़ाया गया है। प्रमुख विषय का 15-20 प्रतिशत हिस्सा ओपन टेस्ट पर आधारित होगा। इसमें वैल्यू ऐडेड क्वेश्चन भी शामिल किए जा सकते हैं। ओपन टेस्ट असेसमेंट में पूछे जाने वाले सवाल उच्च स्तरीय चिंतन दक्षता पर आधारित होंगे और इनका प्रारूप वैकल्पिक, वस्तुपरक और रचनात्मक हो सकता है। टेक्स्ट मैटेरियल प्रश्न-पत्र के हिस्से के आधार पर परीक्षार्थियों को परीक्षा में उपलब्ध कराया जाएगा जिसके आधार पर उन्हें आंसर लिखना होगा। ओपन टेक्स्ट बेस्ड असेसमेंट 11वीं की मार्च में होने वाली वार्षिक परीक्षा का हिस्सा होगा। हालांकि, पहले साल इसे सभी विषयों में लागू नहीं किया जा रहा है। इसे इकोनॉमिक्स, बायोलॉजी और जॉग्रफी में ही लागू किया जाएगा।

यह होगी शिक्षकों की भूमिका
शिक्षकों की भूमिका छात्रों के लिए थ्योरी और व्यवहार आधारित शिक्षण में सेतु स्थापित करने की होगी। उन्हें टेक्स्ट या केस स्टडी ऐसी विकसित करनी होगी जिससे छात्रों को सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और उनके अंदर विमर्श, विश्लेषण, प्रस्तुतीकरण और आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित हो। शिक्षकों को छात्रों को सीबीएसई से मिले टेक्स्ट मैटेरियल को ग्रुप में भी देने की सुविधा दी गई है जिससे छात्र समूह चर्चा के द्वारा भी उस पर दृष्टिकोण विकसित कर सकें। ऐसे उदाहरण या असाइनमेंट दिए जा सकते हैं जिसमें वह क्लास में पढ़ाई गई थ्योरी को व्यावहारिक उदाहरणों में लागू कर सकें। शिक्षकों को छात्रों की गतिविधियों पर समुचित नजर रखनी होगी और निरंतर उनका फीडबैक भी तैयार करना होगा।

मूल्यांकन के यह होंगे मानक
छात्रों को उपलब्ध कराए गए टेक्स्ट मैटेरियल या केस स्टडी के आधार पर उनके मूल्यांकन के अलग-अलग मानक तैयार किए गए हैं। इसमें परिस्थितिजन्य समस्याओं की समझ और उसके निदान के लिए उपायों का क्रियान्वयन, इनोवेटिव विचार, सुझाव और गंभीर विश्लेषण शामिल हैं।

शुक्ला के इस्तीफे के पीछे कहीं राहुल की नाराजगी तो नहीं

आईपीएल कमिश्नर की कुर्सी से राजीव शुक्ला के इस्तीफे के पीछे राहुल गांधी की नाराजगी भी मानी जा रही है। 

आईपीएल फिक्सिंग विवाद को लेकर कांग्रेस के भीतर बेचैनी की खबरों के बीच राजीव शुक्ला ने शनिवार को आईपीएल कमिश्नर पद से इस्तीफा दे दिया। 

यही नहीं, विवादों के चलते शुक्ला को केंद्रीय मंत्रिमंडल से आगामी फेरबदल में छुट्टी होने की बात भी चल रही है। 

आईपीएल मैच फिक्सिंग में दामाद की गिरफ्तारी के बाद भी बीसीसीआई अध्यक्ष श्रीनिवासन के इस्तीफे नहीं देने के मामले में सियासी भूचाल ला दिया है। 

मीडिया में छाई सुर्खियों को देखते हुए शुक्रवार को इस पूरे मामले में खबर आई कि कांग्रेस आलाकमान इस पूरे घटनाक्रम से नाराज है। 

खासकर यूपीए सरकार के प्रमुख मैनेजरों में से एक राजीव शुक्ला के इस विवाद से जुड़ने के चलते भी कांग्रेस आलाकमान के लिए खुद को इससे अलग रखना इतना आसान नहीं था। 

माना जा रहा है कि विवाद से दूरी बनाने की कोशिश के तहत राजीव शुक्ला ने आईपीएल कमिश्नर पद से इस्तीफा दिया है। वहीं उनकी सरकार में मंत्री पद से भी छुट्टी होने की चर्चा है। 

लेकिन आईपीएल कमिश्नर की कुर्सी छोड़ने के बाद यह देखने की बात है कि उनकी केंद्रीय मंत्री पद सुरक्षित रहेगा या फिर जाएगा। 

गौरतलब है कि कांग्रेस के सियासी गलियारों में चर्चा है कि राहुल गांधी ने अपनी युवा बिग्रेड के लोगों को श्रीनिवासन को हटाने की मुहिम में आगे कर दिया था। जिसके चलते राहुल के करीबी और खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने श्रीनिवासन को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग की है। 

जबकि राहुल की युवा बिग्रेड के सदस्य और मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी सबसे पहले श्रीनिवासन से इस्तीफा देने की मांग की है।

नरेंद्र मोदी के मुकाबले शिवराज को मिल रही हवा

भाजपा में प्रधानमंत्री पद के लिए भले ही गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी लोकप्रियता के दम पर लंबी कुलांचे भर रहे हों लेकिन पार्टी के अंदर ही वरिष्ठ नेताओं के बीच उनके नाम पर अभी तक आम सहमति बनती नहीं दिख रही है।

कम से कम पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी अभी भी मोदी को अपना समर्थन देते नजर नहीं आ रहे हैं। तभी तो आडवाणी ने शनिवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को विकास के साथ विनम्र भी बने रहने पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से बेहतर बता दिया।

शिवराज को मोदी के बराबर खड़े करने की बजाय एक कदम बढ़कर उन्हें मोदी से सर्वश्रेष्ठ आंकने की आडवाणी की यह रणनीति पार्टी में प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी पर फिर से एक बार सुगबुगाहट तेज कर सकती है। आडवाणी ने विकास करने के बाद दंभ दिखाने की मोदी की उग्र छवि पर निशाना साधते हुए शिवराज की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से की। वरिष्ठ नेता आडवाणी ने चौहान को बाजपेयी जैसा विनम्र बताया।

आडवाणी बूथ लेवल के समन्वयकों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बाजपेयी ने देशभर में लोक कल्याणकारी योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू किया और हमेशा विनम्र बने रहे। उसी तरह शिवराज सिंह ने मध्य प्रदेश में कई जनकल्याण कारी योजनाएं लाई। लेकिन वह भी इसका बखान करने की बजाय विनम्र बने रहे। अनेक सफलताओं के बाद भी चौहान में अहंकार नहीं है।

आडवाणी ने कहा कि मोदी ने तो पहले से ही संपन्न गुजरात राज्य को विकास की राह में आगे किया लेकिन चौहान ने तो बीमारू रहे मध्य प्रदेश को आज विकसित राज्यों की जमात में ला खड़ा किया है। इस लिहाज से चौहान की तारीफ की जानी चाहिए।

क्या कहना है मप्र भाजपा का

मध्य प्रदेश भाजपा के सूत्रों ने कहा कि नरेंद्र मोदी आए दिन अपने द्वारा किए गए विकास कार्यों का दंभ भरते हैं। जो देश के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी की छवि के लिए उचित नहीं है। आडवाणी चौहान की सादगी और विनम्रता का हवाला देकर मोदी की उसी उग्र छवि पर सीधा प्रहार कर रहे हैं। और पार्टी में चौहान को बाजपेयी के समकक्ष विनम्र ठहराकर प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा प्रत्याशी की सुगबुगाहट तेज कर रहे हैं।

चौहान को भी संसदीय बोर्ड में चाहते थे
बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद नरेंद्र मोदी का अभी भी पार्टी में प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी चुना जाना एक टेढ़ी खीर है। पार्टी का एक धड़ा मोदी के नाम पर अभी भी सहमत नहीं होता दिख रहा है। जिसका नेतृत्व शायद आडवाणी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में चौहान को मोदी से बेहतर बनाने की आडवाणी की रणनीति शायद इसी का एक हिस्सा हो सकती है। करीब दो माह पहले मोदी को जब पार्टी के संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया तब आडवाणी बोर्ड में एक और मुख्यमंत्री यानी शिवराज सिंह चौहान को भी चाहते थे। �

मोदी के बारे में
नरेंद्र मोदी को जब गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया तो उनके हाथ में पहले से ही आर्थिक रूप से एक संपन्न राज्य था। उन्होंने गुजरात के विकास को और बेहतर ढंग से सिर्फ आगे बढ़ाया है। इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं।

चौहान के बारे मे
आर्थिक रूप से कमजोर यानी बीमारू राज्य मध्य प्रदेश को अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं से तरक्की की राहों पर आगे ले जाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो अथक प्रयास किए हैं, उसकी निसंदेह तारीफ की जानी चाहिए। चौहान ने जो विकास कार्य किए हैं। वह आश्चर्य से भर देते हैं।

शीला दीक्षित के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरेंगे केजरीवाल!

आम आदमी पार्टी (आप) आज रविवार को इस बात का निर्णय करेगी कि आगामी दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल कहां से चुनाव लड़ेंगे।

हालांकि सूत्रों के अनुसार केजरीवाल दिल्‍ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं। कहा यहां त‌‌क जा रहा है कि अगर शीला दी‌क्षित अपना चुनाव क्षेत्र बदलती हैं तो केजरीवाल भी अपना चुनाव क्षेत्र बदलकर उसी क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे जहां से मुख्यमंत्री चुनावी मैदान में उतरेंगी।

पार्टी पहले ही 12 विधान सभा क्षेत्र से 44 प्रत्याशियों के नाम शार्टलिस्ट कर चुकी हैं जिसमें मनीष सिसौदिया और संजय सिंह के नाम शामिल हैं।

शीला दीक्षित के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरकर केजरीवाल संदेश देना चाहते हैं कि नेता अपने लिए आसानी से जीतने वाली सीट ही चुनते हैं, लेकिन वे लगातार तीन बार से चुनाव जीत रहीं मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव लड़कर इस स्ट्रैटिजी को भी तोड़ना चाहते हैं।

आप पार्टी मान रही है कि चुनावी समर में शीला और केजरीवाल के आमने-सामने होने से चुनाव हाई वोल्टेज हो जाएगा। हर तरफ कांग्रेस और आप की चर्चा करेगा। इन दो पार्टियों की चर्चा होने से मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा की चर्चा कम होगी। जिसका फायदा आप पार्टी को मिलेगा।

मनरेगा में लापरवाही पर पांच प्रधानों को नोटिस

गाजीपुर। मनरेगा योजना में लापरवाही को लेकर पीडी संतोष कुमार ने ऐसी पांच ग्राम पंचायतों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है जिन्होंने बीते दो वर्षों से मनरेगा योजना का एक भी पैसा नहीं खर्च किया है। इसके साथ ही इन ग्राम पंचायतों के सचिवों को भी कारण बताओ नोटिस थमाई गई है। 
जिलाधिकारी चंद्रपाल सिंह सीडीओ एवं परियोजना निदेशक को मनरेगा पर कड़े निर्देश दिए हैं। डीएम के निर्देश पर परियोजना निदेशक संतोष कुमार ने मनरेगा का धन नहीं खर्च करने वाली ग्राम पंचातयों की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान भांवरकोल विकास खंड की तीन ग्राम पंचायताें में मनरेगा योजना का कोई काम बीते दो वर्षों में नहीं हुआ है। इस ब्लाक की कठार ग्राम पंचायत में 2 लाख, मलिकपुरा में तीन लाख और रेवसड़ा में तीन लाख 83 हजार रुपये डंप है। इन ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है। इनसे कहा गया है कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो डीएम के निर्देश पर ग्राम प्रधान का अधिकार भी सीज कर दिया जाएगा। इसके साथ ही सचिव एवं रोजगार सेवक के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। इसी तरह कासिमाबाद ब्लाक की सोनबरसा ग्राम पंचायत में दो लाख और शक्करपुर कला ग्राम में डेढ़ लाख रुपये डंप पड़े हुए हैं। इन ग्राम पंचायतों के प्रधानों के खिलाफ भी नोटिस भेजी गई है। पीडी संतोष कुमार ने बताया कि मनरेगा का धन नहीं खर्च करने वाले पांच ग्राम प्रधानों को नोटिस भेजी गई है। यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो संबंधित ग्राम प्रधान का खाता भी डीएम के निर्देश पर सीज कराया जाएगा। मनरेगा योजना में लापरवाही करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।